मैने सोचा था तुम्हे फोन करूंगा एक दिन
पूछना था कि तबीय्यत तुम्हारी कैसी है
ये नई वाली मोहब्बत तुम्हारी कैसी है
रात को जागते रहते हो कि सो जाते हो
इक नई ख़्वाब के आग़ोश में खो जाते हो
अब भी कॉन्टेक्ट में है नाम कि मिटा डाला
तोहफे रख्खे हैं अभी या उन्हें जला डाला
दिन में सौ बार मुझे फोन किया करती थी
फोन उठाने में जो देरी हो लड़ा करती थी
चैट ईमो पे दबे पांव चली आती थी
बात ही बात में ये रात गुज़र जाती थी
फोन में बारहा पैसा भी भरा देता था
आनलाईन तुम्हे शापिंग भी करा देता था
माह में गिफ्ट कोई तुम को भा ही जाता था
बिल मेरे नाम का हर वक़्त चला आता था
अब तो टिक भी यहाँ रंगीन तक नही होता
कोई मैसेज भी मेरा सीन तक नही होता
मैने सोचा था कि तुम तो बड़ी पागल निकली
आज एहसास हुआ तुम बड़ी डिजिटल निकली
एटीएम जैसे यहाँ हैक हो गया शायद
ईश्क़ मेरा भी यहाँ बैक हो गया शायद
नोटबंदी का यहाँ जैसे फायदा ही नहीं
आज के दौर की चाहत में ज़ायक़ा ही नहीं
एक दूजे के लिए छल नहीं करने वाला
प्यार अपना कभी डिजिटल नहीं करने वाला
तुम से मिलने का इरादा ही यहाँ छोड़ दिया
फोन को अपने उठाया उठा के तोड़ दिया
मैने सोचा था तुम्हे फोन करूंगा एक दिन
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