Monday, July 2, 2018

मैने सोचा था तुम्हे फोन करूंगा एक दिन / Unknown

मैने सोचा था तुम्हे फोन करूंगा एक दिन

पूछना था कि तबीय्यत तुम्हारी कैसी है

ये नई वाली मोहब्बत तुम्हारी कैसी है
रात को जागते रहते हो कि सो जाते हो
इक नई ख़्वाब के आग़ोश में खो जाते हो

अब भी कॉन्टेक्ट में है नाम कि मिटा डाला

तोहफे रख्खे हैं अभी या उन्हें जला डाला

दिन में सौ बार मुझे फोन किया करती थी

फोन उठाने में जो देरी हो लड़ा करती थी

चैट ईमो पे दबे पांव चली आती थी

बात ही बात में ये रात गुज़र जाती थी

फोन में बारहा पैसा भी भरा देता था

आनलाईन तुम्हे शापिंग भी करा देता था

माह में गिफ्ट कोई तुम को भा ही जाता था

बिल मेरे नाम का हर वक़्त चला आता था

अब तो टिक भी यहाँ रंगीन तक नही होता

कोई मैसेज भी मेरा सीन तक नही होता

मैने सोचा था कि तुम तो बड़ी पागल निकली

आज एहसास हुआ तुम बड़ी डिजिटल निकली

एटीएम जैसे यहाँ हैक हो गया शायद

ईश्क़ मेरा भी यहाँ बैक हो गया शायद

नोटबंदी का यहाँ जैसे फायदा ही नहीं

आज के दौर की चाहत में ज़ायक़ा ही नहीं

एक दूजे के लिए छल नहीं करने वाला

प्यार अपना कभी डिजिटल नहीं करने वाला

तुम से मिलने का इरादा ही यहाँ छोड़ दिया
फोन को अपने उठाया उठा के तोड़ दिया

मैने सोचा था तुम्हे फोन करूंगा एक दिन

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