Tuesday, July 3, 2018

Dr. Kumar Vishwas Best Poems

किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है

पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है
हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है

पनाहों में जो आया हो तो उस पर अधिकार क्या मेरा
जो दिल हार हो उस पे फिर अधिकार क्या मेरा
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कसमकस में हैं
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना

बदलने को इन आंखों के मंज़र कम नहीं बदले
तुम्हारी याद के मौसम हमरे गम नही बदले
तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी, तब ये जानोगी
जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदल

सारे गुलशन में तुझे ढूंढ के मैं नाकारा
अब हर एक फूल को ख़ुद अपना पता देता हूँ
कितने चेहरों में झलक तेरी नजर आती है
कितनी आँखों को मैं बेबात जगा देता हूँ

एक दो दिन मे वो इक़रार कहाँ आएगा
हर सुबह एक ही अख़बार कहाँ आएगा
आज बाँधा है जो इनमें, तो बहल
रोज़ इन बाँहों का त्यौहार कहाँ आएगा

No comments:

Kal Hamesha ki tarah us nay kaha yeh phone par || Last Call || Wasi Shah

Last Call By Wasi Shah Kal Hamesha ki tarah us nay kaha yeh phone par ... Main bohot masroof hoon, mujh ko bohot sey kaam hain ... I...